Shri Guru Ravidass International Youth Organization-SGRIYO

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Kurukshetra, Thanesar, India - 136119

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About Shri Guru Ravidass International Youth Organization-SGRIYO in Kurukshetra, Thanesar

गुरु सन्त रविदास (रैदास) का जन्म एक चर्मकार परिवार में माघ पूर्णिमा को काशी के निकट माण्डूर नामक स्थान पर सन् 1398 में हुआ था । उनके पिता का नाम संतो़ख दास (रग्घु), माता का नाम कर्मा देवी तथा पत्नी का नाम लोना बताया जाता है । आज से लगभग छ: सौ पचास वर्ष पहले भारतीय समाज अनेक बुराइयों से ग्रस्त था । उसी समय रैदास जैसे समाज-सुधारक संत का जन्‍म इस धरती पर हुआ । रैदास ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था ।
” मन चंगा तो कठौती में गंगा । ”
रैदास की वाणी भक्ति की सच्ची भावना, समाज के व्यापक हित की कामना तथा मानव प्रेम से ओत-प्रोत होती थी । इसलिए उसका श्रोताओं के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता था । उनके भजनों तथा उपदेशों से लोगों को ऐसी शिक्षा मिलती थी जिससे उनकी शंकाओं का सन्तोषजनक समाधान हो जाता था और लोग स्वत: उनके अनुयायी बन जाते थे । उनकी वाणी का इतना व्यापक प्रभाव पड़ा कि समाज के सभी वर्गों के लोग उनके प्रति श्रद्धालु बन गये । कहा जाता है कि मीराबाई उनकी भक्ति-भावना से बहुत प्रभावित हुईं और उनकी शिष्या बन गयी थीं ।
रैदास ने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और सबको परस्पर मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया । आज भी सन्त रैदास के उपदेश समाज के कल्याण तथा उत्थान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं । उन्होंने अपने आचरण तथा व्यवहार से यह प्रमाणित कर दिया है कि मनुष्य अपने जन्म तथा व्यवसाय के आधार पर महान नहीं होता है । विचारों की श्रेष्ठता, समाज के हित की भावना से प्रेरित कार्य तथा सद्व्यवहार जैसे गुण ही मनुष्य को महान बनाने में सहायक होते हैं ।
ऐसे महान गुरु को शत् शत् नमन !

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