Chandan Pandiit

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Redg. office: St. no-21,rattanpura,near JCT Mill, Phagwara, India - 144401

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About Chandan Pandiit in Redg. office: St. no-21,rattanpura,near JCT Mill, Phagwara

" ऊँ श्री गणेशाय नम: "
ज्योतिष एक ऐसा विज्ञान है। जिससे व्यक्ति के भूत, वर्तमान, भविष्य के बारे में जाना जा सकता है। मनुष्य के समाजिक जीवन में भी ज्योतिष का बहुत महत्व है। ज्योतिष के अनुसार ही व्यक्ति को धन, प्रसिद्धि, उच्च या नीच स्तर, खराब स्वास्थय, सौभाग्य और दुर्भाग्य मिलता है। यह सब मनुष्य के पूर्वजन्म में किए हुए कर्मो के आधार पर मिलता है। ज्योतिष के द्वारा बनने वाली कुंन्डली से पूरा-पूरा पता लग जाता है। कि भूत, वर्तमान और भविष्य कैसा है। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि भाग्य के हिसाब से इन्सान के साथ जो होने वाला होता है उसी अनुसार उसकी बुद्धि व व्यवहार हो जाता है।

कुछ लोगो का मानना है कि भाग्य को बदला नहीं जा सकता परन्तु इतिहास बताता हैं कि मेहनत+उपाय+बुद्धि बल+हठ योग(दृढ़ निश्चय) के बल पर इन्सान अपना भाग्य बना सकता है। विश्वास रख कर मेहनत के साथ आगे बढ़े तो सफलता जरूर मिलती है। MEDICAL SCIENCE ने अगर मेहनत न की होती तो शायद आज हमारे पास खतरनाक बिमारीयों का इलाज नहीं होता पर मेहनत से शोध कर के MEDICAL SCIENCE ने काफी उन्नति कर ली। इसी प्रकार ज्योतिष विज्ञान ने भी काफी शोध किया हैं। जिसके बल पर दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता हैं। इसी तरह आप सब की सेवा में उपस्थित किया है मैने सौभाग्य कुंन्डली को। इससे से आप को भूत-भविष्य, वर्तमान की पूरी जानकारी मिलेगी। व साथ में उपाय और 10 साल का वर्षफल भी दिया गया हैं। आप को इसमें हर चीज के बारे में बताया गया है। जैसे आप की सेहत, धन, परिवार, भाई-बहन, मकान, जायदाद, पढ़ाई लिखाई, सन्तान, उन्नति, वैवाहिक जीवन, प्रेम विवाह योग, बीमारी अपना भाग्य, करियर, व्यापार, प्रसिद्धि, मित्र, उपल्बधियाँ +पैसा +और विदेश यात्रा इत्यादि इन सब का जवाब आप को सौभाग्य कुंन्डली में मिलेगा ।

सौभाग्य कुंन्डली को वैदिक ज्योतिष के आधार पर बनाया गया है। इसमें बहुत ही आसान उपाए दिए गए है। साथ ही 10 साल का वर्षफल भी बताया गया है। सौभाग्य कुंन्डली में ऋ ण दोष व अशुभ योग के निवारण पर जोर दिया गया हैं। आपके व्यक्तित्व के गुणों को बताया गया हैं। आप अपना सम्पूर्ण भाग्य जानने के लिए अभी आर्डर करें। वक्त की चाल से अपने कदम मिलकर जीवन सुखमय बनाए।

Aapki Bhagya Rekhha
हस्त रेखा विज्ञान भारतीय समाज और परिवेस में तो युगों पहले से ही प्रचलित है। माना जाता है कि समुद्र ऋषि ऐसे पहले भारतीय ऋषि थे, जिन्होने ने क्रमबद्ध रूप से ज्योतिष विज्ञान की रचना की। अत:, ज्योतिष शास्त्र या हस्तरेखा विज्ञान को सामुद्रिक शास्त्र भी कहा गया है। वैदिक धर्म ग्रंथों में कश्यप मुनि ने 18 आर्चायों को ज्योतिष शास्त्र का महान विद्वान व निपुण ज्ञाता माना है, ये हैं- 1. सुर्य, 2. भीष्म पितामह, 3. व्यास, 4. वशिष्ठ, 5. अत्रि, 6. पराशर, 7. कष्यप, 8. नारद, 9. गर्ग, 10. मरीचि, 11. मनु, 12. अंगिरा, 13. लाभेष, 14. पौलिश, 15. च्यवन, 16. भवुन, 17. भृगु, 18. शौनिक। हस्त संजीवन के शलोकानुसार मनुष्य का हाथ एक ऐसी जन्मपत्रिका है, जो कभी नष्ट नही होती। और इसके रचियता स्वंय ब्रहम्मा है। सृष्टि के आदि रचनाकार ब्रहम्मादेव द्वारा बनाई गई हस्त रूपी जन्मकुंडली में संकटकाल के समाधान हैं ओर गणितीय त्रुटि की संभावना नहीं है। हस्तरेखाएं भी ग्रहों-नक्षत्रों के समान अटल फलादेश प्रदान करती है तथा भावी जीवन का मार्गदर्शन करती है। जिस तरह किन्हीं दो व्यक्तियों का जीवन, भाग्य, विचारधारा और परिस्थितियां एक जैसी नहीं होती ठीक उसी तरह दो व्यक्तियों की हस्तरेखाएं भी एक जैसी नहीं होती। हर मनुष्य के हाथ की रेखाएं अलग-अलग होती है। यह एक निश्चित और अटल तथ्य है। हर मनुष्य का ठीक उसी तरह से भाग्य और व्यक्तित्व भी अलग-अलग होता है। यहां तक कि जुड़वा भाइयों में भी कुछ न कुछ असमानताएं अवश्य होती है। 19वीं शताब्दी के सर्वाधिक चर्चित अंकविद्या ज्ञाता और हस्तरेखा के विद्वान कीरों ने लिखा है- विश्वास कीजिए कि सृष्टि का परमपिता कभी नहीं चाहता कि उसकी सृष्टि या उसकी सर्वश्रेष्ठ रचना मानव किसी भी प्रकार का कष्ट उठाए और अंधकार में भटके।

वैज्ञानिक अभी दस वर्षों में एक नई बात कह रहे है कि प्रत्येक प्राणी के पास कोई ऐसी अलौकिक इंद्रिय है, जो भावी घटनाओं या जगतिक प्रभावों को अनुभव करती है। (जैसे जानवरों को भूकन्प का अहसास हो जाना या मछलियों को ज्वार भाटा का पता चल जाना, या किसी की मृत्यु से पूर्व कुत्ते का रोना अथवा सर्दी का मौसम आने से एक माह पूर्व ही पक्षियों का पलायन करने लगना)।

ऐसी ही अलौकिक क्षमता शायद मनुष्य के पास भी है। वास्तव में पशु-पक्षी सदियों से निपट गंवार, ठोस प्रकृतिक व अवैज्ञानिक बने रहे इसलिए उनकी यह पारलौकिक क्षमता गुम नहीं हुई, किन्तु मनुष्य ने बुद्धिमानी, अप्रकृतिक अवस्था तथा वैज्ञानिक सुविधाओं में इस योग्यता को खो दिया है। हस्तरेखा शास्त्र एक प्राचीन विद्या है, जिसे संसार के 78 प्रतिशत लोग मानते है। संसार की इतनी बड़ी आबादी को कुछ-न-कुछ तथ्य और सत्य नजर आता ही होगा हस्तरेखा के समाधान में, तभी व इसे मानते है।

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