Saavi Pearl Farming Training Centre Ateli Mandi - Haryana

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Gali No. 7, Ward No 1,, Ateli, India - 123021

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About Saavi Pearl Farming Training Centre Ateli Mandi - Haryana in Gali No. 7, Ward No 1,, Ateli

मोती क्या है ?
प्राचीन काल से ही मोती को इसके आकर्षण के कारण रत्नों की रानी का स्थान प्राप्त है, मोती या 'मुक्ता' एक कठोर पदार्थ है जो मुलायम ऊतकों वाले जीवों द्वारा पैदा किया जाता है। रासायनिक रूप से मोती सूक्ष्म क्रिटलीय रूप में कैल्सियम कार्बोनेट है जो जीवों द्वारा केन्द्रक (न्युक्लिअस) के उपर परत दर परत चढ़ाकर बनाया जाता है। आदर्श मोती उसे मानते हैं जो पूर्णतः गोल और चिकना हो, किन्तु अन्य आकार के मोती भी पाये जाते हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले प्राकृतिक मोती प्राचीन काल से ही बहुत मूल्यवान रहे हैं। इनका रत्न के रूप में या सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में उपयोग होता रहा है।
मोती की निर्माण प्रक्रिया सीप नाम का एक जन्तु, जिसे मॉलस्क कहते हैं, अपने शरीर से निकलने वाले एक चिकने तरल पदार्थ द्वारा अपने घर का निर्माण करता है। सीप एक प्रकार से घोंघे के प्रजाति है । इसके अन्दर वह अपने शत्रुओं से भी सुरक्षित रहता है। घोंघों की हजारों किस्में हैं और उनके शेल भी विभिन्न रंगों जैसे गुलाबी, लाल, पीले, नारंगी, भूरे तथा अन्य और भी रंगों के होते हैं तथा ये अति आकर्षक भी होते हैं। घोंघों की मोती बनाने वाली किस्म बाइवाल्वज कहलाती है इसमें से भी ओएस्टर सर्वाधिक मोती बनाता है। मोती बनाना भी एक मजेदार प्रक्रिया है। वायु, जल व भोजन की आवश्यकता पूर्ति के लिए कभी-कभी घोंघे जब अपने शेल के द्वार खोलते हैं तो कुछ विजातीय पदार्थ जैसे रेत कण कीड़े-मकोड़े आदि उस खुले मुंह में प्रवेश कर जाते हैं। घोंघा अपनी त्वचा से निकलने वाले चिकने तरल पदार्थ द्वारा उस विजातीय पदार्थ पर परतें चढ़ाने लगता है। भारत समेत अनेक देशों में मोतियों की माँग बढ़ती जा रही है, लेकिन दोहन और प्रदूषण से इनका उत्पादन घटता जा रहा है। अपनी घरेलू माँग को पूरा करने के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार से हर साल मोतियों का बड़ी मात्रा में आयात करता है।
सीप, हमारे देश में नदियों, झरने और तालाब में मौजूद हैं। इनमें मछली पालन अलावा हमारे बेरोजगार युवा एवं किसान अब मोती पालन कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
सीपों की सर्जरी पूरे साल की जा सकती है (अप्रैल जून माह को छोड़कर) । खेती शुरू करने के लिए किसान को पहले तालाब, नदी आदि से सीपों को इकट्ठा करना होता है। इसके बाद प्रत्येक सीप में छोटी-सी शल्य क्रिया के उपरान्त इसके भीतर गोल, आधा गोल या डिजायनदार बीड जैसे गणेश, बुद्ध, पुष्प आकृति आदि डाले जाते है । फिर सीप को बंद किया जाता है। अन्दर से निकलने वाला पदार्थ नाभिक के चारों ओर जमने लगता है जो अन्त में मोती का रूप लेता है। लगभग 8-9 माह बाद सीप से मोती निकाल लिया जाता है।
लागत (दस हजार (10000) सीपों के पालन के लिए :-
(क) एक बार निवेश : -
1. तालाब (50 x 50 फीट) - 10000 रुपये, *
2. जाल - 5000 रुपये,
3. टैंक - 2 (सर्जरी के बाद का ट्रीटमेंट) - 4000 रुपये,
4. लैब इक्यूपमेंट, टूल - 3000
टोटल - 22000 रुपये
* टैंक, एक्वेरियम, बाल्टी में भी फार्मिंग की जाती है
(क) आवर्ती (क्रमशः) निवेश :-
1. सीप - 10-12 रुपये,
2.न्युक्लिअस (इम्पोर्टेड)** - 5-8 रुपये
3. दवाइयां - 100 रुपये
** न्युक्लिअस 100% इल्शियम कार्बोनेट से तैयार, सीमेंट और araldite से नहीं
(ग) मुनाफा :-
1. सफलता की दर - 50 % (देख-रेख पर निर्भर),
2. तैयार मोती - 10000 (दस हजार) - 1 सीप से दो मोती
3. प्रति मोती ​औसत दर - 250 - 300 रुपये
4. 10000 (मोती) x 250 (रुपये) = 2,50,000 (दो लाख पचास हजार रुपये)
सीप के अन्दर बनाने वाले मोती का रंग सीप की प्रजाति और वातावरण पर निर्भर करता है, काली मोती बनाने के सर्जरी के तरीके में कोई अंतर नहीं होता
-मोती की खेती उसी प्रकार से की जाती है जैसे मोती प्राकृतिक रूप से तैयार होता है।
-मोती की खेती करने के लिए इसे छोटे स्‍तर पर भी शुरू किया जा सकता है। इसके लिए आपको तालाब बनाना जरूरी नहीं है ।
- छोटे - छोटे टैंक बनाकर, बाल्टी और एक्वेरियम बनाकर भी मोती की खेती शुरू की जा सकती है
-9 महीने बाद एक सीप से 2 डिजायनर मोती तैयार होता है, जिसकी बाजार में कीमत 300 रुपए से 1500 रुपए तक मिल जाती है।
– बेहतर क्‍वालिटी और डिजाइनर मोती की कीमत इससे कहीं अधिक 10 हजार रुपए तक अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में मिल जाती है।
– 20 महीने बाद गोल मोती तैयार होती है, जिसकी कीमत 500 से 50000 या उससे ज्यादा भी हो सकती है
– हैदराबाद, सूरत, अहमदाबाद, मुंबई आदि बड़े शहरों में मोती के हजारों व्‍यापारी मोतियों का कारोबार करते हैं, जिन्हें मोती बेचा जाता है
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